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RSS सगठन के इतिहास के बारे में कुछ बाते जान ले तो बेहतर होगा

आरएसएस (RSS) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापनाविजयदशमी के दिन 1925 में हुई थी

आरएसएस की स्थापना के बारे में सरसंघचालक हेडगवार ने बताया था कि  ,शुद्रो ओर यमनो से मिलने वाली  हिन्दू धर्म को चुनोतियाँ ओर हिन्दू धर्म के गौरव पुर्नस्थापना के लिए आरएसएस की स्थापना की गई  है
पूना में सूद्र पति पत्नी सावित्री बाई फुले ओर ज्योतिराव फुले ओर एक मुस्लिम महिला फातिमा शेख द्वारा  शूद्रों ओर मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा देने का काम शुरू कर दिया था
जिससे पूरी  हिन्दू  स्वर्ण  पुरुषवादी सता खतरे में पड़ गई थी और दूसरी तरफ महत्मा गांधी का सविनय अवज्ञ  आंदोलन को जनता का समर्थन देख  पूरी अंग्रेज व्यवस्था घबराई हुई थी
 अंग्रेज  भारत की जनता को बांटने के तरीके खोज रहे थे हेडगवार ने साफ शब्दो मे लिखा है। कि हिन्दुओ को अपनी शक्ति अंग्रजो के विरुद्ध लड़ने में नही गवानी चाहिए। क्योंकि हिन्दुओ के असली दुश्मन , मुस्लिम , ईसाई ,ओर कमीयुनिस्ट है
1857 में जो एकता दिखी भारत को आजाद कराने के लिए जिसमे सब धर्म के लोग  जुड़े हुए थे सबका एक मकसद था आजादी  वही एकता 1919 में  जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद देखने को मिली जिस से अंग्रेज पूरी तरह डरे हुए थे और भारतीयों को अलग अलग करने के लिए उन्होंने बहुत सारे सगठन तैयार किये आपसी फूट डालने के लिए उन्होंने फुट डालो ओर शाशन करो कि नीति अपनाई  ये नीति 1930 के बाद अपना रंग दिखाने लगी  हिन्दू मुस्लिम में तनाव देखने को मिलने लगा
सरदार वल्लभ भाई पटेल आरएसएस को ओर उसके मुखिया गोवलकर को नापसंद करते थे सरदार पटेल ने 1947 में गृह मंत्री के रूप में काम करना शुरू किया था तो कुछ लोगो को उन्होंने अंग्रेजो का मित्र बताया था ओर सरदार पटेल के आदेश  से  उन पर एटेलिजेंस ब्यूरो  का सर्विलांस रखा जा रहा था पूरे भारत मे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो अंग्रेजो की भक्ति करते थे सरदार उन सब पर नज़र रख रहे थे।इसमे कमीयुनिस्ट थे छोटे  राजे महाराजे थे और इसमे सबसे अधिक  आरएसएस  के  थे 40% थेगौरतलब की बात है कि गांधी की हत्या से पहले ही सरदार पटेल ने आरएसएस को भरोसे लायक सगठन मानने को तैयार नही थे
यहाँ तक की सरदार भगतसिंह जी की 76वी बरसी पर आरएसएस के अखबार पांचजन्य ने अमर शहीद भगत विशेषांक रंग दे बसंती चोला निकाला और अमर शहीद भगतसिंह को  अपना हीरो बताने की कोशिश की परंतु उनकी ये कोशिश तब नकाम हो गई जब ये पूर्ण रूप से साबित हो गया कि भगतसिंह हिंदुत्व की राजनीति के घोर विरोधी थे और आरएसएस को नापसंद करते थे
1920 से 1947 तक आरएसएस का कोई भी आदमी अंग्रेजों के खिलाफ  नही हुआ और न ही कोई जेल में गया   दूसरे सरसंघचालक डॉ गोवलकर ओर मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना कभी जेल नही गए अंग्रेजो के सुभचिंतक ओर खास बन्दे बने रहेउन दिनों हिंदुत्व की राजनीति करने वाले वी. डी .सावरकर थे जो अंग्रेजो को  माफीनामा दे कर  जेल से बाहर आए थे और इसी वजह से उनकी पार्टी की  हिन्दू समाज मे कोई इज्जत नही रही थी 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद 4 फरवरी 1948 को आरएसएस को आतंकी सगठन  घोषित करते हुए तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगाया था ओर ये प्रतिबंध 1949 में वापिस लिया गया था आरोप लगा था कि अब इस रिकॉर्ड को गायब कर दिया गया है ताकि संघ का असली चेहरा देशवाशी न जान पाये
 ओर  आपको बता दे कि    आरएसएस ने 1950 से लेकर 2002 तक अपने मुख्यालय नागपुर पर कभी तिरंगा नही फहराया जबकि संघ से प्रतिबंध इस शर्त पर हटाया था कि वो भारतीय सविधान ओर तिरंगे के प्रति अपनी आस्था प्रदर्शित करंगे
ओर सबसे बड़ी बात यह है कि जो आरएसएस भारत मे 1925 से अपना सगठन चला रहा है वो भी हिंदुत्व के नाम पर  जो हिन्दू  गाय को गौमाता मानते है   ओर जिस देश मे अमर शहीद मंगल पांडे ने गाय के प्रति देश मे आजादी की लड़ाई का आगाज किया था  उस देश मे आज भी सरकारी कत्लखाने चल रहे है जहां गोमाता को काटा जाता है  और गोमांस बेचा जाता है उस देश मे आरएसएस 1925 से लेकर वर्तमान समय तक  गो हत्या बंद करने के लिए कितनी बार आंदोलन किया है  इतने लंबे समय से हिंदुत्व का ढोंग रचा रहे है अगर इतने ही हिंदूवादी है तो क्यो आज भी देश गोहत्या हो रही है ये तो एक दम बन्द हो जानी चाहिए थी   
ये सब देखने के बाद ओर जानने के बाद समझ आता है आरएसएस ने देश के प्रति कितनी वफादारी की है ।और  कितने वफादार है हिन्दू धर्म के प्रति 



 केके(कबू) राजीववादी

                                  धन्यवाद  


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